श्रीहनुमानचालीसा

चौपाई २१

Chaupai 21 Analysis

राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥ २१ ॥

राम दुआरे तुम रखवारे
राम दुआरे = राम के द्वार पर
तुम रखवारे = आप रखवाले (हैं)
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
होत न = होता नहीं, मिलता नहीं
आज्ञा बिनु = (आपकी) आज्ञा के बिना
पैसारे = प्रवेश

भावार्थ

श्रीरामचंद्र के द्वार के आप रखवाले हैं । वहां आपकी आज्ञा बिना प्रवेश नहीं मिलता ।

व्याख्या

तुलसीदासजी कहते हैं कि हे पवनपुत्र, आप परम निष्ठावान रामभक्त हैं । आप सब तरह से श्रीरामचंद्र के साथ जुड़े हुए हैं । रामकथा में छाया की तरह वे रामजी के साथ रहते हैं । पवनपुत्र प्रभु श्रीराम के एकनिष्ठ सेवक हैं । सजगता से अपने कर्तव्य करते हैं व अपने स्वामी को निश्चिन्त रखते हैं । धर्म-शास्त्र कहते हैं कि रामभक्ति में प्रवेश हनुमानजी की प्रसन्न्ता से ही भक्त को मिलता है । हनुमानजी की कृपा से उपासक के हृदय में रामजी की भक्ति का विकास होता है । रामजी के द्वार पर आप रखवाले हैं और सावधानी से वहाँ डटे हुए हैं ।

चौपाई २० अनुक्रमणिका चौपाइ २२

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