श्रीहनुमानचालीसा
चौपाई २७
Chaupai 27 Analysisसब पर राम तपस्वी राजा ।
तिन के काज सकल तुम साजा ॥ २७ ॥
सब पर राम तपस्वी राजा | ||
सब पर | = | सब से श्रेष्ठ, सबसे ऊपर |
राम तपस्वी राजा | = | राम तप करने वाले राजा हैं |
तिन के काज सकल तुम साजा | ||
तिनके | = | उनके |
काज | = | कार्य |
सकल | = | सभी |
तुम साजा | = | तुमने संवारे, सिद्ध किये |
भावार्थ
रामचन्द्रजी तप करने वाले राजा हैं व राजाओं में उनका स्थान सबसे ऊपर है अर्थात् राजाओं में वे सर्वश्रेष्ठ हैं । हे पवनपुत्र ! आपने उनके सभी कार्यों को संवारा है, उनके उद्देश्यों को सिद्ध किया है ।
व्याख्या
राजा राम सब राजाओं से श्रेष्ठ हैं, क्योंकि वे तप करने वाले तपस्वी राजा हैं, मर्यादापुरुषोत्तम हैं । वे संयम से, नियम से रहते हैं । पिता की आज्ञा हुई और वे बिना हिचकिचाये या बिना कोई प्रश्न किये वन को चले गये, चौदह वर्षों के लिये । और वन से जब वे लौटे उनका राजतिलक हुआ व वे राजा राम बने । अपनी प्रजा का पालन जैसे राजा राम ने किया वह एक उदाहरण बन गया । आज भी देश के अच्छे नेतृत्व व सुशासन को रामराज्य का नाम दिया जाता है । वे सभी राजाओं में श्रेष्ठ हैं और रघुवंश के भी सभी राजाओं में भी वे सर्वश्रेष्ठ हैं , अतएव वे रघुवंशशिरोमणि कहलाते हैं । तुलसीदासजी कहते हैं कि हे महावीर ! आपने ऐसे महिमाशाली सर्वश्रेष्ठ राजा के सभी कार्य कुशलता से संपन्न किये हैं । लोक में प्रायः कहा भी जाता है कि राम सबकी बिगड़ी बनाते हैं और हनुमान राम की बिगड़ी बनाते हैं । राम के सब मनोरथ वे कुशलता से सिद्ध करते हैं । वे रामजी की सेवा और आज्ञा पालन में तत्पर रहते हैं । रामजी की कथा में हनुमानजी सब जगह हैं ।
श्रीरामरक्षास्तोत्रम् में बुधकौशिक ऋषि ने श्रीराम की वन्दना करते हुए लिखा है कि जिनके आगे मारुति उपस्थित हैं, उन राम की मैं वन्दना करता हूं —पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ।
चौपाई २६ | अनुक्रमणिका | चौपाइ २८ |