श्रीहनुमानचालीसा
चौपाई ३६
Chaupai 36 Analysisसंकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ ३६ ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा | ||
संकट कटै | = | विपत्ति कट जाती है |
मिटै | = | मिट जाती है |
सब पीरा | = | सारी पीड़ा (उसकी) |
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा | ||
जो सुमिरै | = | जो स्मरण करता है |
हनुमत बलबीरा | = | महाबली हनुमानजी का |
भावार्थ
महाबली हनुमानजी का जो स्मरण करता है उसके सब संकट कट जाते हैं और उसकी पीड़ा भी मिट जाती है ।
व्याख्या
श्रद्धालु जन हनुमानजी को संकटमोचन कह कर उनका स्मरण-पूजन करते हैं — को नहीं जानत है जग में कपि संकट-मोचन नाम तिहारो । वे भक्तों के सभी प्रकार के संकट काट देते हैं । उनका स्मरण करने वाले की सभी पीड़ाएँ भी मिट जाती हैं, चाहे वे शारीरिक हों या मानसिक हों । ग्रहों द्वारा दी जाने वाली पीड़ा भी इनके भक्तों को प्रभावित नहीं करतीं । हनुमानजी ने रावण के बन्धन से शनिदेव को मुक्त किया था, तब उनसे महाबली मारुति ने कहा था कि हमारे भक्तों को आपकी साढ़े साती व ढैया किसी तरह भी कष्ट न पहुँचाये । और कृतज्ञ शनिदेव ने तब शीश झुका कर उनकी बात मान ली । ऐसा प्रसंग रामकथा में आता है । इस प्रकार शनि ग्रह का त्रासदायी प्रभाव बजरंग बली के भक्तों को विशेष पीड़ा नहीं पहुंचाता । संकटमोचन महावीर तुरन्त फल देने वाले देवता हैं ।
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