शिव-स्तुति

महादेव का कर पूजन
चल भोला की शरण
भक्ति-भाव से कर अर्चन
चल भोला की शरण ।

विषपायी सब सहते हैं
रत समाधि में रहते हैं
मन में जगाते हैं वैराग
शुभ संकल्प उठें अबाध
भरमाता नहीं पापी मन ।

चल भोला की शरण ।

शिव को भाती है जलधार
बेलपत्र ,चन्दन ,मंदार
भक्त करते हैं अभिषेक
आशुतोष वर देते अनेक
सकल मनोरथ सम्पूरण ।

चल भोला की शरण ।

विकट चौरासी का चक्कर
भव-भव में भटकता नर
मुक्ति देते हैं तत्काल
दयामय वे ज्वालभाल
छूट जाये आवागमन ।

चल भोला की शरण ।

द्वापर में जब हरि जन्में
जोगी वेश में शिव घूमें
दर्शन करने को आकुल
पहुँच गए सीधे गोकुल
कहते हुए अलख-निरंजन ।

चल भोला की शरण ।

यशोदा अपने लाल को लाड़े
अवलोक रही है आँखे फाड़े
उग्र जोगी द्वार पर आया एक
सर्प की माला को गले लपेट
हाथ में डमरु रूप डरावन ।

चल भोला की शरण ।

महादेव का कर पूजन
चल भोला की शरण
भक्ति-भाव से कर अर्चन
चल भोला की शरण ।

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4 comments

  1. Harshit says:

    भक्ति-भाव से कर अर्चन
    चल भोला की शरण…

    Bahut Hi Sundar Kavya Rachna Kiran Ji..
    Aapke ShivTandavaStotram Aur MahishasuraMardiniStotram Ki Vyakhya Mere Man Ko Bha hi Gayi…
    Aapka Karya Pranshansaniya, Utkrashta Aur Adbhut Hai.. ✨✨

    Jigyasapurvak Aapke Anya Kavya Rachnaye Bhi Padhne Ko Man Sahaj Hi Aatur Hua.. Samay Ka Thoda Abhava Hai Par Nishchit Hi Main Anya Rachnaon Ko Bhi Mai Apna Samaya Awashya Dunga…

    Aasha Karta Hu Prabhu Aapko Aur Aapke Priyjano Ko, Pranimatra ko Sukhi, Samriddha, Swastha, Anandmaya Rakhe!!!
    Punah Anekanek Dhanyawaad Ke Sath Aapko Saadar Pranam…🙏🙏

    • Kiran Bhatia says:

      आदरणीय हर्षितजी, नमस्कार । उत्साह-वर्धन हेतु धन्यवाद । ॐ नम: शिवाय ।

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