व्याख्या

संस्कृत काव्य – व्याख्या एवं काव्यानुवाद

डा० किरण भाटिया

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द्वारिकाधीश

द्वारावती के नभ से स्वर्णप्रासाद में
झांक कर देख रहा है पीत रजनीश
याद कर अपनी राधिका को आज भी
छुपछुप कर रो रहे हैं द्वारिकाधीश ।

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