श्रीहनुमानचालीसा
चौपाई २९
Chaupai 29 Analysisचारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥ २९ ॥
चारों जुग परताप तुम्हारा | ||
चारों जुग | = | चारों युगो में |
परताप तुम्हारा | = | आपका प्रताप, आपका प्रभाव |
है परसिद्ध जगत उजियारा | ||
है परसिद्ध | = | प्रसिद्ध है |
जगत | = | संसार भर में |
उजियारा | = | (आपका) तेज, आपका |
भावार्थ
आपका पराक्रम अथवा प्रताप चारों युगों में व्याप्त है । और आपका उजाला अर्थात् प्रकाश जगत् में सब जगह प्रसिद्ध है ।
व्याख्या
आपका प्रताप, आपकी महिमा चारों युगों में व्याप्त है । आपका उज्ज्वल यश जगत् में सब ओर फैला है, सभी दिशाओं में उसका प्रसार है । हनुमानजी चतुर रामदूत व निष्ठावान रामसेवक हैं । आपकी रामभक्ति आपकी शक्ति है । वे स्वयं कहते हैं कि यह सब तव प्रताप रघुराज । नाथ न कुछ मोर बड़ाई ॥ रामजी की सेवा करने व उनके उद्देश्यों को पूरा करने के लिये ही शिवजी ने वानर रूप में अवतार लिया । रुद्र के अवतार होने से उनका तेज प्रचण्ड है व वज्र जैसे अंगों वाले वे बजरंग बली है । हनुमानजी वैदिक देवता हैं तथा वे लोक देवता भी हैं । उनके नाम का उल्लेख वेदों में भी मिलता है । जनसाधारण उनकी विपुल शक्ति, प्रचण्ड वेग व विद्या से अभिभूत हैं । वे सभी विद्याओं के ज्ञाता हैं । अत: प्रत्येक विद्या का अभ्यासी उनसे मुग्ध हैं और वे उसके देव हैं व वह उनकी प्रसन्नता पाना चाहता है । इस प्रकार हनुमानजी का यश, उनका प्रताप प्रत्येक युग में व्याप्त है । बिना हनुमान के रामकथा की कल्पना भी नहीं की जा सकती । जहां जहां राम का नाम है वहाँ वहाँ हनुमानजी का स्मरण है । आपके प्रताप का उजियारा इस प्रकार जगत् भर को जगमगा देता है ।
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