मौन-स्फुरण

मौन में समाहित
सब समाधान
रिक्त नहीं है
स्वर्णपात्र यह ढका हुआ
अनन्त का देता है सन्धान ।

नेहभरा नि:शब्द नवफूल
प्रतीत होता है जैसे
जीव के शीश पर
आशीष देते ईश के
हस्तारविन्द विराजमान ।

मौन में भजन है
ध्यान है, स्मरण है
श्याम रंग का स्फुरण है
निराकरण हैं
मंगल मनोहर मूल्यवान ।

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