श्रीहनुमानचालीसा
चौपाई २५
Chaupai 25 Analysisनासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥ २५ ॥
नासै रोग हरै सब पीरा | ||
नासै रोग | = | भागते हैं रोग, नष्ट होते हैं रोग |
हरै | = | दूर हो जाती है |
सब पीरा | = | सब तरह की पीड़ा |
जपत निरंतर हनुमत बीरा | ||
जपत | = | जपने से |
निरंतर | = | सदा, नित्य |
हनुमत बीरा | = | वीर हनुमान |
भावार्थ
हनुमानजी का नाम निरन्तर जपने से रोग भाग खड़े होते हैं व पीड़ा दूर हो जाती है ।
व्याख्या
गोस्वामी तुलसीदासजी इस चौपाई में अपने आराध्य से कहते हैं कि हे वीर हनुमानजी ! आप आरोग्य और आनन्द के दाता हैं । आपका नाम अथवा मन्त्र निरन्तर जपने से रोग भाग जाते हैं एवं पीड़ा नष्ट हो जाती है । आपके नामों का जाप करने से ही भक्त को आपके अपने आसपास होने की अनुभूति होती है । हनुमानजी की गदा सब पाप-ताप व रोगों को मार भगाती है । भूत-प्रेत, पिशाच, डाकिनी-शाकिनी आदि द्वारा मिलने वाली पीड़ा और उनके उपद्रव सभी बजरंगबली की उपासना करने से शान्त होते हैं । अपनी आस्था और विश्वास से उपासक को हनुमानजी की अदृश्य उपस्थिति का आभास होता है । हनुमानजी का इस धरती पर सदा ही वास है । शास्त्रों में बताये गये सप्त चिरंजीवियों में से एक हैं ।
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