श्रीहनुमानचालीसा

चौपाई ३४

Chaupai 34 Analysis

अंत काल रघुबर पुर जाई ।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई ॥ ३४ ॥

अंत काल रघुबर पुर जाई
अंत काल = जीवन के अन्त होने पर
रघुबर पुर = रामचंद्रजी का लोक
जाई = जाता है
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई
जहां जन्म = जहां जन्म लेकर
हरि-भक्त कहाई = हरि का भक्त कहलाता है

भावार्थ

रामजी की कृपा प्राप्त करने वाला जीव जीवन का अन्त होने पर रघुनाथजी के लोक में सिधारता है । तथा वहाँ से नया जन्म उनके भक्त के रूप में पाकर वह हरिभक्त कहलाता है ।

व्याख्या

हनुमानजी की प्रसन्नता पाकर रामजी शरण प्राप्त करने वाला जीव जीवन का अन्त होने पर रघुनाथजी के लोक में सिधारता है । वहां से दुबारा जन्म जब मिलता है उसे, तो वह पुण्यशील धर्मपरायण के घर में जन्म पाता है, जहां वह धर्म में प्रगति करता है और समाज में हरि-भक्त के रूप में जाना जाता है ।
चौपाई ३३ अनुक्रमणिका चौपाइ ३५

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