श्रीहनुमानचालीसा
चौपाई ३९
Chaupai 39 Analysisजो यह पढ़ै हनुमान चलीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ ३९ ॥
जो यह पढ़ै हनुमान चलीसा | ||
जो यह पढ़ै | = | जो कोई पढ़े इस |
हनुमान चलीसा | = | हनुमान चालीसा को |
होय सिद्धि साखी गौरीसा | ||
होय सिद्धि | = | (उसका) कल्याण सिद्ध होगा |
साखी | = | साक्षी, गवाह |
गौरीसा | = | गौरीपति शंकर (हैं) |
भावार्थ
जो कोई भी इस हनुमान चालीसा को पढ़ेगा उसका कल्याण निश्चित है, इसी कल्याण-सिद्धि की बात को गोस्वामीजी ने सिद्धि कहा और वे यह भी कहते हैं कि इस बात के साक्षी अथवा गवाह गौराजी के पति हैं ।
व्याख्या
इस चौपाई में गोस्वामी तुलसीदासजी ने हनुमान चालीसा के पावन पाठ के फल के बारे में कहा है । हनुमानजी की महती कृपा के कारण इस छोटी-सी किन्तु वास्तव में अत्यंत महान् चालीसा का रचा जाना संभव हुआ । भक्त कवि का कहना है कि जो कोई भी हनुमान चालीसा का पाठ करेगा अथवा इसे पढ़ेगा, उसके सब कार्य सिद्ध होंगे और मनोकामना सफल होगी । जो उपासक अपना परलोक सुधारना चाहता है, उसका मंगल होगा । यह पाठ सिद्धिदायक है, इसमें संदेह नहीं है । इस बात के साक्षी या गवाह हैं गौरीसा (गौरी + ईसा) । गौरी यानि पार्वती और ईसा यानि स्वामी । ईसा शब्द ईश का बिगड़ा हुआ रूप है । माँ गौरी के स्वामी का अर्थ है भगवान शिव । तुलसीदासजी कहते हैं कि गौरीपति शंकर इस बात के साक्षी हैं कि पाठ करने वाले भक्त का सदा कल्याण सिद्ध होगा ।
लोक में इस बात की प्रतिष्ठा है कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित संकटमोचन हनुमानाष्टक और हनुमानचालीसा का पाठ सर्वसिद्धिदायक है ।
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