श्रीहनुमानचालीसा

चौपाई ६

Chaupai 6 Analysis

संकर सुवन केसरीनंदन ।
तेज प्रताप महा जग बंदन ॥ ६ ॥

संकर सुवन केसरीनंदन
संकर = शंकर भगवान
सुवन = अवतार
केसरीनंदन = वानरराज केसरी के पुत्र
तेज प्रताप महा जग बंदन
तेज = ओज, तीव्र प्रकाश
प्रताप = प्रभाव, महिमा, शौर्य
महा = महान्
जग बंदन = संसार में पूजित

भावार्थ

हे शंकरजी के अवतार ! हे वानरराज केसरी के पुत्र ! आपका तेज महान् है, अपने तेज के प्रताप से हे केसरी किशोर ! आप सम्पूर्ण जगत् में वन्दनीय हैं, अर्थात् सारा जगत् आपकी वन्दना करता है ।

व्याख्या

हनुमान चालीसा जन जन का कण्ठहार है । असंख्य भक्तों व विद्वानों ने अपने मन के निर्मल भावों से  इन चौपाइयों के अर्थ को समझा है और इस पर प्रकाश डाला है । हनुमानजी रुद्रावतार हैं, अत: उन्हें तुलसीदासजी संकर सुवन कह कर पुकारते हैं । संकर अर्थात् भगवान् शंकर तथा सुवन शब्द अवतार का अर्थ व्यक्त करता है । शंकर की ही तरह हनुमानजी भी पंचमुख व एकादश मुख वाले माने जाते हैं । क्यों न हों ? शंकर के अवतार ही तो हैं वे ।

आगे हनुमानजी को केसरीनन्दन कह कर पुकारते हैं । नन्दन का अर्थ है आनन्द देने वाला, इसलिये पुत्र को नन्दन कहा जाता है । केसरीनन्दन का अर्थ है केसरी को आनन्द देने वाले अर्थात् हे केसरी कुमार ! आपका तेज बहुत तीव्र है तथा आपका प्रताप भी उज्ज्वल है । क्यों न हो ? आप में भगवान शिव का तेज व ओज जो समाया हुआ है । भगवान शशिधर की प्रभा व प्रभाव से प्रकाशमान और महान् आप पूरे विश्व में  वन्दनीय हैं महा जग बंदन । आप जन जन के देवता हैं । भारत के अलावा विश्व के अन्य देशों में भी श्रीमारुति के प्राचीन मन्दिर मिलते हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि वहां तक लोगों के वे प्रिय आराध्य रहे हैं । सम्पूर्ण जगत् में इनकी पूजा होती है ।

चौपाई ५ अनुक्रमणिका चौपाइ ७

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