मार्गदर्शन
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कल तक था जो दूर क्षितिज
आज छोर बना है वर्तमान का
सांझ आ पहुंची जीवन की
सन्निकट समय प्रस्थान का
बहुभोगप्रवण जीवन, सहसा
मंत्र मर्म पाया ध्यान का
कृतज्ञ हूँ ,मिला दिनयाम मौन
मुझे मार्गदर्शन भगवान का
आज छोर बना है वर्तमान का
सांझ आ पहुंची जीवन की
सन्निकट समय प्रस्थान का
बहुभोगप्रवण जीवन, सहसा
मंत्र मर्म पाया ध्यान का
कृतज्ञ हूँ ,मिला दिनयाम मौन
मुझे मार्गदर्शन भगवान का
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साधु! साधु!
अनुगृहीतास्मि ।