श्रीहनुमानचालीसा
चौपाई २४
Chaupai 24 Analysisभूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ॥ २४ ॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै | ||
भूत पिसाच | = | भूत-प्रेत व पिशाच |
निकट | = | पास |
नहिं आवै | = | नहीं फटकते |
महाबीर जब नाम सुनावै | ||
महाबीर | = | वीरों के वीर हनुमान (का) |
जब | = | जिस समय |
नाम सुनावै | = | नाम सुनाई देता है |
भावार्थ
महावीर का नाम जब भूत-प्रेत और पिशाच आदि को सुनाई पड़ता है तो वे नाम बोलने वाले के पास भी नहीं फटकते ।
व्याख्या
जहां महावीर के दिव्य नामों का जाप होता है, वहां भूत-प्रेत, पिशाच, बैताल आदि आसपास भी नहीं फटकते । दुष्ट आत्माएं तथा नकारात्मक शक्तियां इनसे आतंकित होती हैं । हनुमान तांत्रिक देवता भी हैं । झाड़-फूंक, अभिचार और जादू-टोना आदि की स्थिति में इनका पूजन होता है । इनके मन्त्र-तन्त्र को जागृत किया जाता है व इसका विशेष फल भी मिलता है । वे डाकिनी, शामिनी, भूत-प्रे- व पिशाच आदि के नियंत्रक हैं । उपद्रव करने वाली व सताने वाली सब नकारात्मक शक्तियां महावीर के नाम से डर कर भाग खड़ी होती हैं । मेहंदीपुर में बालाजी हनुमानजी का मन्दिर है, जहां वे सब पीड़ित लोग परिवार वालों द्वारा लाये जाते हैं जिन पर पर भूत चढ़ा होता है । वहीं संकटमोचन हनुमानजी के मन्दिर में भूतबाधा दूर की जाती है ।
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