श्रीहनुमानचालीसा

चौपाई २८

Chaupai 28 Analysis

और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ २८ ॥

और मनोरथ जो कोई लावै
और = अन्य, दूसरी
मनोरथ = मनोकामना, इच्छा
जो कोई लावै = जो कोई भी लेकर (उनके पास) जाता है
सोई अमित जीवन फल पावै
सोई = वही
अमित = बहुत अधिक मात्रा में
जीवन फल = मनोवांछित फल
पावै = पा लेता है

भावार्थ

जो कोई भी मन में किसी प्रकार की इच्छा लेकर हनुमानजी के पास जाता है, वह अपने जीवन में मनोवांछित फल पाता है और बहुत बड़ी मात्रा में पाता है अर्थात् वे उसमें कोई कमी नहीं रहने देते । भक्तजनों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं ।

व्याख्या

हनुमानजी के चरण-कमलों में जाकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं । लोगों की मनौतियाँ रंग लाती हैं व मनोकामनाएं पूरी होती हैं । मनोरथ शब्द से तात्पर्य है मन की तीव्र व गहन इच्छा से है । इस शब्द से संकल्प का अर्थ भी प्रकाशित होता है । इस चौपाई से गोस्वामी तुलसीदासजी यह कहना चाहते हैं कि व्यक्ति जो कोई भी मनोरथ करता है सोई अर्थात् वही फल अपने जीवन में बहुलता से प्राप्त करता है । वे भक्तों की झोली भर देते हैं । महावीर भक्त को उसकी भावना के अनुसार भौतिक- आध्यात्मिक वैभव विपुलता से देते हैं । ऐश्वर्य के याचक धन-सम्पदा, पद-प्रतिष्ठा, पुत्र-पौत्र-परिवार संबंधी कामनाओं को पूर्ण होता हुआ पाते हैं । दूसरी ओर धर्मशील भक्तों की रामभक्ति व रामकृपा  पाने की कामना को पूरा करने के लिये श्रीराम के अनन्य सेवक उन्हें रामभक्ति का पथ दिखाते हैं, राम से मिलवाते हैं । अपने भक्तों को वे निर्भय रखते हैं ।

चौपाई २७ अनुक्रमणिका चौपाइ २९

Separator-fancy

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *