श्रीहनुमानचालीसा

चौपाई २२

Chaupai 22 Analysis

सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रच्छक क़ाहू को डरना ॥ २२ ॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना
सब सुख = हर तरह का सुख
लहै = मिलता है, लाभ होता है
तुम्हारी सरना = आपकी शरण में
तुम रच्छक क़ाहू को डरना
तुम रच्छक = आप रक्षक

भावार्थ

आपकी शरण में सब सुख मिलते हैं । आप रक्षक हैं तो फिर डरना किससे ? अर्थात् आपकी शरण लेने वाले भक्त जनों का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता ।

व्याख्या

हनुमानजी की शरण लेने वाले भक्त जन घोर कलियुग के इस विकट समय में भी उनकी कृपा की छाया में रह कर भय से मुक्त रहते हैं और शान्ति-लाभ करते हैं । उनके चरणों का सहारा लेने वाले श्रद्धालु जन सब तरह का सुख और सौभाग्य प्राप्त करते हैं । इसीलिये कहा कि तुम रच्छक क़ाहू को डरना ।  शत्रु व रोग आदि की पीड़ा भी इनकी कृपा की छत्रछाया में रहने वालों से दूर हो जाती है अथवा बहुत कम प्रभाव डाल पाती है । रुद्र के अवतार बजरंग बली, इनसे भय भी भयभीत होता है । इनकी शरण अति सुखदायी है ।

मनुष्य का मन कभी-कभी अकारण आतंकित हो उठता है । किसी आपत्ति के आने के आभास या फिर कभी किसी अनिष्ट की आशंका अकारण मन को विचलित करने लगती है । ऐसी स्थिति में महावीर का स्मरण मनुष्य की रक्षा करता है । और उनके रक्षक बन जाने पर भक्त को भय किसका ?

चौपाई २१ अनुक्रमणिका चौपाइ २३

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