पाषाणी

मेरे अहं की कठोर शिला को राम !
छुआ दो तुम अपने पगतल ललाम
हो खण्ड-खण्ड टूटे पाषाण
करें प्रदक्षिणा मेरे पंच प्राण
अणु अणु से उठे स्वर उद्दाम
करके प्रणाम `जय श्रीराम !`
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मेरे अहं की कठोर शिला को राम !
छुआ दो तुम अपने पगतल ललाम
हो खण्ड-खण्ड टूटे पाषाण
करें प्रदक्षिणा मेरे पंच प्राण
अणु अणु से उठे स्वर उद्दाम
करके प्रणाम `जय श्रीराम !`
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