श्रीहनुमानचालीसा
चौपाई ३१
Chaupai 31 Analysis![]()
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥ ३१ ॥
| अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता | ||
| अष्ट सिद्धि | = | आठ प्रकार की सिद्धियां |
| नौ निधि | = | नौ प्रकार की निधियां |
| के दाता | = | इनके देने वाले |
| अस बर दीन जानकी माता | ||
| अस | = | ऐसा |
| बर | = | वरदान |
| दीन | = | दिया |
| जानकी माता | = | सीता मैया ने |
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भावार्थ
सीता मैया ने आपको वरदान दिया था कि आप किसी को भी आठों प्रकार की सिद्धियाँ और नौं प्रकार की निधियाँ दे सकते हैं ।
व्याख्या

हनुमानजी सिद्धिदायिनी हैं । इनकी उपासना से सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं । तुलसीदासजी हनुमानजी से कहते हैं कि आपने सीता मैया का बहुत वात्सल्य पाया है उन्होंने आपको सुत अर्थात् पुत्र कह कर पुकारा व आशीष दिया था —अजर अमर गुननिधि सुत होहु । आपकी शक्ति, बुद्धि, विवेक व एकनिष्ठ भक्ति तथा सेवा से प्रसन्न हो कर माता सीता ने आपको वरदान दे कर अष्ट सिद्धियों व नौ निधियों के दाता बना दिया । इन सबका उल्लेख यहां आवश्यक प्रतीत नहीं होता है । योग-शास्त्र में आठ प्रकार की सिद्धियों का उल्लेख विस्तार से प्राप्त होता है ।
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